कैलाश विजयवर्गीय के खिलाफ मुकदमा चलाने से पहले सरकार की मंजूरी जरूरी: सुप्रीम कोर्ट



मध्यप्रदेश/ इंदौर, इंदौर नवरतनबाग जमीन घोटाला मामले में कैलाश विजयवर्गीय और उनकी टीम (सांसद शंकर लालवानी, विधायक रमेश मेंदोला, मधु वर्मा और पूर्व महापौर डॉ. उमा शशि शर्मा) के खिलाफ किसी भी कोर्ट में कोई मुकदमा नहीं चलेगा। सुप्रीम कोर्ट ने एसएलपी खारिज करते हुए कहा कि, इस प्रकार का मुकदमा चलाने के लिए राज्य सरकार की मंजूरी जरूरी है। 


इंदौर नवरतनबाग जमीन घोटाला क्या है।


वर्ष 2001-2002 में पीपल्याहाना तालाब को रीजनल पार्क में विकसित करने की योजना के लिए होलकर घराने की कुछ जमीन अधिग्रहित की गई थी। बदले में उन्हें नवरतनबाग में जमीन दी गई थी। सस्ती जमीन लेकर करोड़ों की जमीन देने के आरोप में जनप्रतिनिधियों के खिलाफ जिला एवं सत्र न्यायालय में निजी परिवाद दायर किया गया था। उस वक्त विजयवर्गीय महापौर थे, जबकि लालवानी, मैंदोला, शर्मा और वर्मा महापौर परिषद के सदस्य थे। 



सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार कोर्ट ने यह कहते हुए परिवाद खारिज कर दिया था कि जनप्रतिनिधियों के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए सरकार से अभियोजन स्वीकृति लेना होगी। हाई कोर्ट ने भी आदेश यथावत रखा। इसके बाद परिवादी ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट ने पिछले दिनों इस मामले की सुनवाई की। शीर्ष अदालत ने भी निचली अदालतों के फैसले में किसी तरह की गलती नहीं मानी और एसएलपी खारिज कर दी।

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